Guruvani (Shree Veerbrahmendra Swami) (Hindi) - श्री वीरब्रह्मेंद्र स्वामी गुरुवाणी by Brahmarshi Pitamaha Patriji
“यह पुस्तक श्री वीरब्रह्मेंद्र स्वामी की शिक्षाओं पर चर्चा करती है। इसमें आत्म-साक्षात्कार और आध्यात्मिक अभ्यास के महत्व को जोर दिया गया है, इसका मतलब है कि असली खुशी और शांति अंदर से ही मिलती है, और जीवन की पीड़ा से निकलने का रास्ता आत्मा की सच्चाई को समझना है। जीवन का मूल्य उसके उद्देश्य पर निर्भर करता है, न कि उसके लंबाई पर। अपने उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए यत्नशीलता से काम करें। उद्देश्य को पाने में समर्थ होने के लिए ध्यान, स्वाध्याय और आत्म-साक्षात्कार में विश्वास रखें। यही सच्ची पूर्णता है।
इस पुस्तक में पत्री जी द्वारा श्री वीरब्रह्मेंद्र स्वामी जी की शिक्षाओं का एक विस्तृत सारांश दिया गया है जो हमें ध्यान के बारे में सिखाती है। वीरब्रह्मेंद्र स्वामी जी के ज्ञान को संक्षेप में समझाया गया है। उन्होंने ध्यान के महत्व को बताया है और ध्यान करने की विधि का वर्णन किया है। इसके साथ ही उन्होंने कुंडलिनी शक्ति के बारे में भी बताया है जो हमारे अंतरात्मा की ऊर्जा को जागृत करती है।”